कबाड़ में बिकने वाली कोच का जीर्णोद्धार कर दानापुर रेल मंडल ने बनाया स्टाफ कैंटीन
दानापुर रेल मंडल के कर्मचारियों ने कमाल कर दिया है कर्मचारियों ने किलो के भाव से बिकने वाले रेल कोच को स्टार लेवल का कैफेटेरिया बना दिया है। कोच कैफेटेरिया रेस्टोरेंट के बारे में जानकर अब भी चौक जायेंगे। लाल रंग के पुराने कोच आपको किसी यात्रा पर नहीं लेकर जायगा बल्कि इसमें आपको मिलेगा खाना। किलो के भाव से बिकवाली के लिए जाने वाले कोच को एंटीक वस्तुओ से सजाकर कैफेटेरिया बनाया गया है। कोच कैफेटेरिया रेस्टोरेंट में 10 VIP सीट और 30 सामान्य सीट उपलब्ध है यानि कोच कैंटीन में एकसाथ 40 लोग जायके का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
कोच को रेलवे ने पुराने समय में इस्तेमाल किये वस्तुओं से सुसज्जित किया है।रेलवे ने कोच की दीवार पर कुछ पेंटिंग्स लगाकर कोच के अंदरूनी हिस्सों को संवारने का भी विशेष प्रयास किया है । इसमें टाइपराइटर और दानापुर रेलवे स्टेशन की पुरानी तस्वीर जैसे कुछ पुराने उपकरणों को भी रखा गया है। यहाँ दुर्लभ चीजों को देख लोग हैरत में है। जहाँ रेल यात्री ई -कैटरिंग की मदद से ट्रेन में खाना आर्डर कर स्वादिष्ट व्यंजनों का आनन्द ले सकते है, वही इस कैंटीन में भी यात्री कुछ समय बिता कर चाय कॉफ़ी और स्नैक्स का आनंद ले सकते सकते है
दानापुर मंडल के रेल कर्मियों ने खुद से तैयार किया रेल स्टाफ कैंटीन
दानापुर (Danapur) कोचिंग डिपो में कर्मचारियों के लिए कैंटीन सुविधा उपलब्ध नहीं थी और न ही कैंटीन के लिए खाली रूम की उपलब्धता थी। अतः (coach canteen) के रूप में पुनः उपयोग हेतु 07 दिसंबर 2019 को दानापुर डीआरएम द्धारा अनुमति प्राप्त हुई। इसके उपरांत इस कोच को वाटर रीसाइक्लिंग प्लांट के निकट 09 दिसंबर को स्थापित किया गया। इसमें डिपो कर्मचारियों द्धारा खाली समय में अपना योगदान देते हुए कैंटीन में रूपांतरित किया गया है। दानापुर कोचिंग डिपो के अधिकारी अनिल कुमार ने बताया की हमने ऐसा उपाय किया की कंडम कोच बीके नहीं और इसको अपने लोकल रिसोर्स से हमलोगो ने कैंटीन का रूप दिया ताकि कोचिंग डिपो में काम करने वाले लोगो को खाने और रिलैक्स करने के लिए एक आरामदायक बैठने की व्यवस्था हो सके। उन्होंने कहा की इस कोच को बिना किसी रेलवे के अतिरिक्त खर्चे के बनाया गया है और इसे बनाने में दानापुर रेल मंडल के कर्मचारियों ने अथक परिश्रम किया है.
कोच का इतिहास
इस कोच इतिहास पुराना है। कोच संख्या EC GS 94504 को सन 1994 के अक्टूबर माह में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री पेराबूर ,चेन्नई द्वारा गया बनाया जहाँ इस कोच के निर्माण के बाद इसे सेवा के लिए पूर्व मध्य रेलवे को दिया गया। इस कोच का उपयोग वर्ष 1994 से 2002 तक मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में किया गया। इस कोच को CPTM पूर्व रेलवे के पत्र संख्या -TC 591 /231 द्धारा पूर्व मध्य रेलवे में ले जाया गया और सेवा के लिए पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर मंडल को दिया गया। वर्ष 2007 में इस कोच को लिलुआ वर्कशॉप में ले जाया गया और शौचालय रहित कोच में रूपांतरित किया गया और इसके उपरांत मोकामा शटल में इस्तेमाल किया गया। अंतिम रूप से यह कोच ट्रेन संख्या 53231 /32 दानापुर तिलैया एक्सप्रेस में इस्तेमाल किया गया। इस कोच का जीवनकाल 30 /09 /2019 को पूरा होने के उपरांत कण्डमनेशन के लिए प्रस्तावित किया गया था।
बेकार पड़े कोच में (Rail Cafeteria) खोले जाने के बाद रेल कर्मचारियों के साथ साथ यहां आम लोग भी कम कीमत में स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठा रहे है। यहां लोगो को शुद्ध खाना मिल रहा है। इस कैंटीन में चाय, समोसे , पेटीज के साथ साथ कई अन्य खाने पिने की वस्तुए उपलब्ध है। इस रेल कैंटीन के खोले जाने के बाद से ही पुरे देश में दानापुर रेल मंडल की हर तरफ तारीफ हो रही है। दानापुर रेल मंडल के कर्मचारियों की मेहनत यक़ीनन कबीले तारीफ है.