ट्रेनों के रास्ता भटकने की खबर सच नहीं: चेयरमैन, रेलवे बोर्ड
कोरोना वायरस की वजह से देश भर में जारी लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर विभिन्न जगहों पर फंसे हुए हैं। देश में 1 मई से लगातार श्रमिक स्पेशल ट्रेनों (Shramik special train ) से प्रवासी मजदूरों के घर लौटने का सिलसिला जारी है। ऐसे में रेलवे पर लचर व्यवस्था एवं ट्रेनों की लेटलतीफी का आरोप लग रहा है। भारतीय रेलवे को लेकर हाल में मीडिया में कुछ ऐसी खबरें सामने आए जिसमें ट्रेनों के रास्ता भटकने (Lost trains) का मामला सामने आया। इस मामले ने इतनी तूल पकड़ी की इस पर सफाई देने के लिए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार को खुद सामने आना पड़ा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि रेलवे ने अभी तक 52 लाख लोगों को अपने गृह राज्य पहुंचाया है।
एक बहुत बड़ा प्रोटोकॉल होता है, और कोई भी ट्रेन रास्ता नहीं भटक सकती
72 घंटे से ज्यादा सिर्फ चार ट्रेनों ने समय लिया। 3840 ट्रेनें में 4 को छोड़कर बाकी सभी ट्रेनें 72 घंटे से कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंची हैं। 90 फीसदी ट्रेन समय से पहुंची हैं। नियमित रूट पर ज्यादा भीड़ जैसे कई कारणों की वजह से ट्रेनों के रूट को डायवर्ट करना पड़ा। नौ दिन ट्रेन लेट होने का आरोप झूठा है। रेलवे बोर्ड के प्रेस कॉन्फ्रेंस में चैयरमैन ने बताया कि ट्रेन के रास्ता भटकने की खबर भी पूरी तरह से बेबुनियाद है। ऐसी झूठी खबरों से दिन रात काम में जुटे रेलवेकर्मियों का मनोबल टूटता है। उन्होंने कहा कि अगले 10 दिनों में 36 लाख श्रमिकों को उनके गंतव्य स्थान की यात्रा करवा पाएंगे। जब तक आखिरी श्रमिक अपने घर नहीं पहुंच जाता तब तक श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलती रहेंगी।
रेलवे के प्रेस कॉन्फ्रेंस की प्रमुख बिंदु
• ट्रेनों में कई यात्रियों एवं गर्भवती महिलाओं को हमारे डॉक्टर ने समय पर सहायता पहुंचाई।
• सभी नागरिकों से अपील है कि गंभीर रोग से ग्रस्त, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग एवं बच्चे, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में बहुत आवश्यक होने पर ही यात्रा करें।
• यात्री किराए में कोई भी फेरबदल नहीं किया गया है, जो किराया लॉकडाउन के पहले था वही किराया अब लिया जा रहा है।
• भारतीय रेल द्वारा विभिन्न स्टेशनों पर आवश्यकता पड़ने पर यात्रियों को तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाती है। सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अनिवार्य रूप से खाना और पानी सभी यात्रियों को उपलब्ध कराया जाता है।
प्रवासी मजदूरों के खाने पीने का रखा जा रहा है पूरा खयाल
3840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 52 लाख यात्री अपने गंतव्य जा चुके हैं। पिछले एक हफ्ते में ही करीब 20 लाख यात्री अपने गंतव्य तक गए है। अधिकांश प्रवासी उत्तर प्रदेश से हैं जो कि कुल संख्या का लगभग 42% है वहीं बिहार से कुल संख्या का 37% है। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए विशिष्ट प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। राज्य सरकार शुरुआती स्टेशनों पर भोजन और पानी उपलब्ध करा रहे हैं साथ ही IRCTC और रेलवे डिवीजनों ने ट्रेनों में श्रमिकों के लिए मुफ्त भोजन और पानी की व्यवस्था की है।
प्रवासी मजदूरों के लिए रेलवे सब कुछ करेगी
रेलवे के प्रेस कॉन्फ्रेंस में चेयरमैन विनोद कुमार ने कहा कि श्रमिक भाई-बहनों के लिए जो भारतीय रेल को करना पड़ेगा वो हम करेंगे। यात्रियों की खुशी में रेलवे की खुशी है। अपने घर जा रहे नागरिक कोरोना से बचाव के लिये रेलवे द्वारा की गयी व्यवस्था से प्रसन्न हैं। उनकी यह खुशी हमारे काम करने के उत्साह को बढाती है, और हमें और अधिक सेवा करने के लिये प्रेरित करती है।