श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में नहीं लिया जा रहा है कोई किराया आज बिहार पहुंचेगी 9 ट्रेनें
देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए भारतीय रेल ने जो श्रमिक स्पेशल ( Shramik special ) गाड़ियां चलाई हैं उनमें मजदूरों से किसी तरह का किराया नहीं वसूला जा रहा है। खुद भारतीय रेलवे ये यह सफाई दी है। भारतीय रेलवे की ओर से कहा गया है कि ‘यह श्रमिक स्पेशल (Social distancing norms maintain) करते हुए यानि लगभग 60 प्रतिशत यात्री एक ट्रेन में यात्रा कर रहे है । रास्ते में भोजन तथा पानी की व्यवस्था, सुरक्षा आदि के साथ ये विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं तथा प्रवासी मजदूरों को उनको गंतव्य स्थानों तक छोड़ने के बाद वापसी में खाली ट्रेनें लाई जा रही है । इसकी भरपाई के लिए भी रेलवे इन श्रमिकों से कोई अतिरिक्त किराया नही वसूल रही है । सामान्य दिनों में भी भारतीय रेल यात्रियों को यात्रा करने पर लगभग 50 प्रतिशथ सब्सिडी देती है इन सभी परिस्थितियों को जोड़कर रेलवे कुल किराया का 85 % खुद वहन कर रही है वही मात्र 15 प्रतिशत खर्च रेलवे भेजने वाले राज्य सरकारों से ले रही है और टिकट राज्य सरकारों को दिया जा रहा है।
रेलवे द्वारा टिकट बिक्री की खबरें महज अफवाह
भारतीय रेल किसी भी प्रवासी को न तो टिकट बेच रहा है और न ही उनसे किसी प्रकार का संपर्क कर रहा है, यह इसलिये भी ज़रूरी है कि पूरी प्रक्रिया पर नियंत्रण रहे, और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि सिर्फ जरूरतमंद लोग ही इन स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करें, ऐसा न किया जाये तो बेकाबू भीड़ इकट्ठी हो सकती है. नियंत्रण व सुरक्षा रखना असंभव होगा। संक्रमण से बचाने के लिए social distancing भी नहीं कर पाएंगे।’
यात्रा में अंकुश और अनुशासन पर रेलवे का जोर
रेलवे की ओर से कहा गया है कि ‘अगर ये सुविधा निःशुल्क होती तो नियंत्रण के बिना सभी लोग रेलवे स्टेशन पहुंच जाते, ट्रेनों में बड़ी संख्या में घुसकर लोग बिना social distancing maintain किये और असावधानीपूर्वक यात्रा करते। किसी भी राज्य के लिए स्टेशनों पर भगदड़ को नियंत्रित करना असंभव हो जाता, इस स्थिति में राज्य सरकारों के लिए ये सुनिश्चित करना भी मुश्किल हो जाता कि वास्तव में इन ट्रेनों में प्रवासी मजदूर ही यात्रा कर रहे हैं। पूरी प्रक्रिया नियंत्रण से चले और मुसीबत में फंसे लोगों को उनके गाँव तक पहुँचाया जा सके इसलिए जरूरी है कि यात्रा पर अंकुश और अनुशासन रहे।’
बता दें कि, देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए रेलवे ने देश के विभिन्न हिस्सों से अब तक 34 श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाई हैं। संकट के समय में विशेष रूप से गरीब से गरीब लोगों को भी सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा प्रदान करने की अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को पूरा कर रही है। श्रमिकों से किराए वसूली को लेकर कांग्रेस अध्यक्षा के बयान के बाद भारतीय रेलवे ने बयान जारी किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी श्रमिकों से रेलवे द्वारा किराया वसूले जाने पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि अब इन मजदूरों के लौटने पर होने वाले खर्च का वहन पार्टी की प्रदेश इकाइयां करेंगी। इसी बीच भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के किराए को लेकर स्थिति साफ कर दी है।
1. सुबह 07.05 बजे बेंगलुरु से दानापुर
2. सुबह 11.30 बजे मेलुरु से दानापुर
3. दोपहर 12.30 बजे कोटा से दानापुर
4. सुबह 06.30 बजे कोटा से दरभंगा
5. दोपहर 2 बजे केरल के त्रिशुर से दरभंगा
6. सुबह 11.45 बजे एर्नाकुलम से बरौनी
7. सुबह 4 बजे गुजरात के साबरमती से मुज़फ़्फ़रपुर
8. शाम 5 बजे एर्नाकुलम से मुज़फ़्फ़रपुर
9. शाम 5 बजे केरल के कन्नूर से सहरसा
17 मई तक सभी यात्री ट्रेन सेवाएं रद
सभी यात्री सेवाएं 17 मई 2020 तक रद रहेंगी। रेलवे के बयान के मुताबिक़ सभी को सूचित किया जाता है कि भारतीय रेल ने उपनगरीय ट्रेनों सहित सभी नियमित यात्री ट्रेनों के रद्दीकरण को 17 मई 2020 तक बढ़ा दिया है।